दीपावली की पड़वा पर एक अनूठी परंपरा 


गोवर्धन पूजा कर खिलाया जाता हैं छावड़ा : पड़वा पर अनूठी परंपरा 


सैकड़ों सालों से गोवर्धन पूजा कर परंपरा का निर्वहन कर रहे ग्रामवासी

रिपोर्टर आनंद ठाकुर 

भौंरासा ! ग्राम कुलाला,बुदासा, सादीखेडा,मिर्जापुर,सरसोदा,डकाच्या,पोलाय सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्र में दिपावली के अगले दिन पड़वा पर यूं तो तो हर जगह गोवर्धन पूजा की जाती हैं ! गाय के गोबर से पर्वत की आकृति बनाकर महिलाओ द्वारा पूजा अर्चना कर खीर पूरी चढ़ाई जाती हैं व मन्नत मांगी जाती हैं कि हमारे घर में सुख समृद्धि आए और वह हर बीमारी से हमारा गांव सुरक्षित रहे एवं घर में सुख समृद्धि की कामना के लिए सभी समाजजनों द्वारा सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है ! विभिन्न त्यौहारों को परंपराओं के साथ हर्षौल्लास के साथ निभाने के लिए जाना जाता हैं! दिवाली पर्व के अगले दिन पड़वा को लेकर तो परंपरा काफी विशेष है! सभी समाज पड़वा को धूमधाम से मनाते है समाज की महिलाएं पड़वा के दिन सुबह एक जगह एकत्रित होकर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की अनुकृति बनाती हैं!जिसके बाद हर घर से खीर पूरी मिठाई भोग लगाने लिए लाई जाती हैं ! इस दौरान खास तौर पर हर घर से एक कुल्हड़ में गाय का दूध भी लाया जाता हैं इसके पीछे मान्यता है कि यह दूध पीने से वर्ष पर व्यक्ति निरोगी रहता हैं! सामूहिक पूजा के बाद समाज के पुरुष हाथों में धानी और पताशे लेकर गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा लगाते हैं ! वहीं समाज द्वारा वर्षों से चली आ रही छावड़ा की परंपरा को निभाते चले आ रहे है जिसके अंतर्गत गाय को माता का स्वरूप मानकर उसे ग्रामवासियों द्वारा छावड़ा खिलाया जाता हैं जिसमें डीजे, ढोल की धुन पर नवयुवकों द्वारा नाच गाकर छावड़ा खिलाया जाता हैं और साथ साथ ग्रामवासियों द्वारा हिढ गाते हुए सभी त्यौहार का आनंद लेते है इस अवसर पर सभी ग्रामवासी उपस्थित रहते हैं!