जीव दया सम्मान समारोह में मुनिश्री विनम्रसागर जी ने कहा- गौरक्षण को चरितार्थ करना है, तो चमड़े की वस्तुओं का भी पूर्णतया परित्याग करना होगा
कोरोना योद्धाओं के पांच दिवसीय सम्मान समारोह के दूसरे दिन 100 लोगों का हुआ सम्मान
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अनिल उपाध्याय
देवास
9753414558
देवास जिले के खातेगाव मे जैन समाज द्वारा आयोजित कोरोना योद्धाओं के पांच दिवसीय सम्मान समारोह के दूसरे दिन दो सत्रों में फ्रंट लाइन वॉलेंटियर्स
एवं विभिन्न क्षेत्रों में निस्वार्थ सेवाकार्य करने वाले सेवाभावियों सहित लगभग 100 लोगों का सम्मान किया गया। प्रियेश लुहाड़िया ने बताया कि सोमवार को नगर परिषद के स्थायी कर्मचारी, ऑपरेशन ढ़ाल के स्वयंसेवक, कोविड सेंटर प्रभारी-सहयोगी, गौसेवक, गौशाला संचालक सहित स्काउड के सदस्यों को जीव दया सम्मान से नवाजा गया।
पहले सत्र में पूर्व विधायक कैलाश कुंडल, राजकुमारी कुंडल, यादव समाज अध्यक्ष रामेश्वर यादव, गुर्जर समाज प्रमुख डॉ आर एन यादव तथा दूसरे सत्र में
ख्याति प्राप्त कथावाचक पंडित भगवती प्रसाद तिवारी, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त रिटायर्ड शिक्षक जगदीश गुरुजी, स्वर्णकार समाज प्रमुख जगदीश प्रसाद सोनी, काँजीपुरा गोशाला समिति अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण गोरा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रथम सत्र में मंगलाचरण श्रीमती स्नेहा लुहाड़िया, साक्षी लुहाडिया, श्रीमती रेखा पोरवाल ने किया। अतिथियों एवं कार्यक्रम पुण्यार्जक अशोक लुहाड़िया द्वारा आदिनाथ भगवान एवं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण तथा दीप प्रज्वलन किया। कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र चौधरी ने किया, आभार पुनीत जैन, संदीप पाटनी ने माना।
सम्मान समारोह के अंत में मुनिश्री विनम्रसागरजी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि पापियों को इस संसार में कभी धर्म नहीं मिलता है। पापियों से यहां आशय सिर्फ पाप कर्म करने वालों से ही नहीं वरन पाप कर्म में आंशिक सहभागी करने वालों से भी है। भारतीय संस्कृति में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास गौमाता में माना गया है। गोरक्षण को सही मायनों में चरितार्थ करना है तो चमड़े की वस्तुओं का भी हमें पूर्णतया परित्याग करना पड़ेगा। मुनिश्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में स्काउट के सदस्यों सहित अन्य सेवाभावी कार्यकर्ताओं ने महामारी के खिलाफ अपनी क्षमता दिखाई है। भरगर्मी में दिन भर धूप में खड़े रहकर उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालते हुए आमजनों के लिए अपनी सेवाएं दी हैं। मुनिश्री ने स्काउट सदस्यों के साथ ही सम्मानित होने वाले विभिन्न क्षेत्रों में सेवा देने वाले सभी सदस्यों से आग्रह किया कि आने वाले समय में किसी भी प्रकार की विपत्ति के लिए देश हित में हमें अग्रणी भूमिका का निर्वाह करना है। यह सम्मान आपके द्वारा किए गए कार्यों के साथ-साथ आगे आने वाले समय में किए जाने वाले जनहित कार्यों के लिए भी है। सेवा तो ईश्वरीय कार्य है इसे किसी धन मान से तोला नहीं जा सकता आपकी सेवा अमूल्य है। इस अवसर पर मुनिश्री निस्वार्थसागर जी महाराज ने भी आशीर्वचन दिए।
जीव दया सम्मान समारोह में मुनिश्री विनम्रसागर जी ने कहा- गौरक्षण को चरितार्थ करना है, तो चमड़े की वस्तुओं का भी पूर्णतया परित्याग करना होगा
कोरोना योद्धाओं के पांच दिवसीय सम्मान समारोह के दूसरे दिन 100 लोगों का हुआ सम्मान
खातेगांव! जैन समाज द्वारा आयोजित कोरोना योद्धाओं के पांच दिवसीय सम्मान समारोह के दूसरे दिन दो सत्रों में फ्रंट लाइन वॉलेंटियर्स
एवं विभिन्न क्षेत्रों में निस्वार्थ सेवाकार्य करने वाले सेवाभावियों सहित लगभग 100 लोगों का सम्मान किया गया। प्रियेश लुहाड़िया ने बताया कि सोमवार को नगर परिषद के स्थायी कर्मचारी, ऑपरेशन ढ़ाल के स्वयंसेवक, कोविड सेंटर प्रभारी-सहयोगी, गौसेवक, गौशाला संचालक सहित स्काउड के सदस्यों को जीव दया सम्मान से नवाजा गया।
पहले सत्र में पूर्व विधायक कैलाश कुंडल, राजकुमारी कुंडल, यादव समाज अध्यक्ष रामेश्वर यादव, गुर्जर समाज प्रमुख डॉ आर एन यादव तथा दूसरे सत्र में
ख्याति प्राप्त कथावाचक पंडित भगवती प्रसाद तिवारी, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त रिटायर्ड शिक्षक जगदीश गुरुजी, स्वर्णकार समाज प्रमुख जगदीश प्रसाद सोनी, काँजीपुरा गोशाला समिति अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण गोरा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रथम सत्र में मंगलाचरण श्रीमती स्नेहा लुहाड़िया, साक्षी लुहाडिया, श्रीमती रेखा पोरवाल ने किया। अतिथियों एवं कार्यक्रम पुण्यार्जक अशोक लुहाड़िया द्वारा आदिनाथ भगवान एवं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण तथा दीप प्रज्वलन किया। कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र चौधरी ने किया, आभार पुनीत जैन, संदीप पाटनी ने माना।
सम्मान समारोह के अंत में मुनिश्री विनम्रसागरजी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि पापियों को इस संसार में कभी धर्म नहीं मिलता है। पापियों से यहां आशय सिर्फ पाप कर्म करने वालों से ही नहीं वरन पाप कर्म में आंशिक सहभागी करने वालों से भी है। भारतीय संस्कृति में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास गौमाता में माना गया है। गोरक्षण को सही मायनों में चरितार्थ करना है तो चमड़े की वस्तुओं का भी हमें पूर्णतया परित्याग करना पड़ेगा। मुनिश्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में स्काउट के सदस्यों सहित अन्य सेवाभावी कार्यकर्ताओं ने महामारी के खिलाफ अपनी क्षमता दिखाई है। भरगर्मी में दिन भर धूप में खड़े रहकर उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालते हुए आमजनों के लिए अपनी सेवाएं दी हैं। मुनिश्री ने स्काउट सदस्यों के साथ ही सम्मानित होने वाले विभिन्न क्षेत्रों में सेवा देने वाले सभी सदस्यों से आग्रह किया कि आने वाले समय में किसी भी प्रकार की विपत्ति के लिए देश हित में हमें अग्रणी भूमिका का निर्वाह करना है। यह सम्मान आपके द्वारा किए गए कार्यों के साथ-साथ आगे आने वाले समय में किए जाने वाले जनहित कार्यों के लिए भी है। सेवा तो ईश्वरीय कार्य है इसे किसी धन मान से तोला नहीं जा सकता आपकी सेवा अमूल्य है। इस अवसर पर मुनिश्री निस्वार्थसागर जी महाराज ने भी आशीर्वचन दिए।
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