134 वर्ग किलोमीटर में 41 सोशर, 35 झिरिया, 9वायरलेस स्टेशन, 8फायर केम्प, सहित 14 मिलिट्री एक्समेनो से लेश खिवनी अभ्यारण्य,

कैमरों से की जा रही खिवनी अभ्यारण्य की निगरानी,

अभ्यारण्य में आप देख सकते है 148 प्रजाति के पक्षी,

पर्यटन की दृष्टि से किया गया खिवनी को विकसित,
देवास जिले का एक मात्र "खिवनी अभ्यारण्य"
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 अनिल उपाध्याय चीफ एडिटर समाचार लाइव न्यूज़ एमपी 97534 14558
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कोरोना वायरस महामारी ने भारत सहित पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है, ओर इस महामारी से बचने का एक मात्र उपाय अपने घरों में सुरक्षित रहे। इसको लेकर देश के प्रधानमंत्री जी ने समूचे भारत में लॉक डाउन कर दिया, साथ ही लॉक डाउन के दौरान किसी को भूख नही रहने दिया जाएगा। ऐसे लोगो के लिए शासन स्तर पर हेल्पलाइन नम्बर जारी किया गया जिससे लोगो की सहायता भी हो रही है। लेकिन ऐसे में सवाल उठता है उन बेजुबान, बेसहारा पशु, पक्षी, वन्य जीवों के खाने पीने के इन्तेजाम की। इसी कड़ी में में लॉक डाउन-3 के चलते "हमारे संवाददाता" ने खिवनी अभ्यारण्य की ओर रुख किया। जहां जंगल का भृमण कर अभ्यारण्य के वन्य जीवो, वन्य प्राणियों की व्यवस्था के हाल जाने, जहाँ जानवरों की देखभाल, उनके खाने पीने के इंतजाम, जंगल की सुरक्षा के सम्बंध में मुस्तेद हर एक वनकर्मियों से रूबरू होकर जाना किस तरह वन अमला अपने कार्य को अंजाम दे रहा है।


"खिवनी अधीक्षक *पीसी दायमा*" से लॉक डाउन -3 में वन्य प्राणियों के खाने-पीने व उनकी देखभाल और अभ्यारण्य के सुरक्षातंत्र आदि की व्यवस्था की जब चर्चा की गई, तो अधीक्षक ने बताया खिवनी अभ्यारण्य देवास जिले के कन्नौद, खातेगांव से होकर सीहोर जिले की आष्टा व इछावर तहसील के दौलतपुर तक 134 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हुआ है। जिसे दो रेंज में बांटा गया है। 01अधीक्षक 02-वन परिक्षेत्राधिकारी के द्वारा सतत भ्रमण व निगरानी कर पूरी व्यवस्था चाक चौबंद की हुई है। समय-समय पर वन मंडलाअधिकारी देवास का भी दौरा अभ्यारण्य में होता है, जो सम्पूर्ण अभ्यारण्य की गतिविधियों की कार्यप्रणाली से रूबरू होते है। वन्य जीवों को पीने के पानी के उचित प्रबंध पूरे वन क्षेत्र में किया हुआ है, जिसमे 41 पक्के सोशर व 35 प्राकृतिक झीरिया खुदी हुई है। इसी में 8 सोशर के पास नलकूप है, जहां सौर ऊर्जा के माध्यम से मोटर निरन्तर चलती रहती है, जो हमेशा पानी की पर्याप्तता बढ़ाते रहते है, कुछ स्थानों पर वन रक्षक टैंकर के द्वारा पानी भरते है, जिससे कि वन्य जीवों को अभ्यारण्य के अंदर किसी भी कोने में आसानी से पानी प्राप्त हो सके। 
"वन परिक्षेत्राधिकारी *अमीचन्द आस्के*" ने बताया वनों को गर्मी के दिनों में आग से बचाने के लिए पूरा अमला मुस्तेद रहता है। अभ्यारण्य में 08 फायर केम्प का निर्माण किया हुआ है। जो रात-दिन खिवनी अभ्यारण्य की सुरक्षा में लगे रहते है, वही पूरे खिवनीअभ्यारण्य वन क्षेत्र में 09-वायरलेस स्टेशन है जिसका कन्ट्रोल रूम खिवनी में है। जिसमे प्रत्येक घण्टे में पल-पल की जानकारी ली जाती है। अभ्यारण्य में पशु पक्षियों की निगरानी के लिए कैमरे लगे हुए है। इसी प्रकार अभ्यारण्य के मुख्य मार्गो पर (पगमार्क ईम्प्रेशन पेड) पीआईपी बनाए गए है, जो जानवरों का मूवमेंट बताते है। इन सबके अलावा गस्ती करने वाले कर्मचारियों के मोबाइल में MS ट्रैप एप्प्स है, जो कर्मचारी अभ्यारण्य में गस्ती करता है उसकी लोकेशन दिखाने के अलावा उसका नक्शा भी बनता है, जिससे पता चलता कि उसके द्वारा आज कोनसे क्षेत्र में ओर कहाँ से कहाँ तक गस्ती की गई, यह एप ऑनलाइन ओर ऑफलाइन दोनो तरीके से कार्य करता है। साथ ही खिवनी अभ्यारण्य को पर्यटन की दृष्टि से भी काफी विकसित किया गया है, जहां पर्यटकों के रहने, खाने से लेकर अभ्यारण्य में घूमने के लिए सफारी भी उपलब्ध है।
 
वही खिवनी के डिप्टी रेंजर *-प्रमोद सास्ता-* ने बताया
"पर्यटकों के मन को लुभाने वाले पशु पक्षी" यहां आने वाले पर्यटकों के लिए टूरिस्ट केम्पस खिवनी में 5-रूम टूरिस्ट कार्टेज, 4-रूम टेंटिंग, 1-वन विश्राम गृह बना हुआ है, वही पर्यटकों का मन मोहने वाले पशु-पक्षी पाए जाते है, जिनमे वन्य प्राणी- बाघ, तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, चीतल, सांभर, लंगूर, बंदर, चौसिंगा, मोर, नीलगाय, कोयल, ईंगल, दूधराज, सहित 148 प्रजातियों के पक्षी पाए जाते है, इन पक्षियों की गणना वर्ष 2018 के बर्ड सर्वे में हुई थी। फिलहाल वर्तमान में विगत माह 20-मार्च से कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन अवधि 17 मई तक अभ्यारण्य में पर्यटकों के आने पर पूरी तरह प्रतिबंधित है। लॉक डाउन खुलने के बाद जैसा भी विभागीय आदेश आएगा पर्यटकों के लिए बुकिंग चालू कर दी जाएगी।

एक नजर खिवनी में कार्यरत वनकर्मियों पर। 
एक अधीक्षक पिसी दायमा, दो रेंजर जिसमे खिवनी से अमीचंद आसके, ओर हारसपुर से छोटेलाल गौर, खिवनी रेंज में डिप्टी रेंजर प्रमोद शास्ता खिवनी, भादर सिंह मंडलोई भिलाई, नंदराम वर्मा पटरानी, सहित 12 वन रक्षक कृष्णकांत वर्मा, नब्बूलाल मालवीय, सतीश नरवरिया, राजकुमार मालवीय, प्रेमलाल भिलाला, रामप्रसाद भारतीय, पंकज सारोलिया, नेपोलियन मोनिया, बजरंगसिंह चौहान, परमानंद राठौर, शोभाराम सेटलिया, ओमप्रकाश पिण्डारे है।
वही हारसपुर रेंज में रेंजर छोटे लाल गौर, डिप्टी रेंजर मार्टिन कटारे दौलतपुर, रामोतार परते सहित 9 वन रक्षक सज्जनसिंह धाकड़, विश्वजीत सिंह, दीपक मोरे, पूरनसिंह राजपूत, शशिकांत जाटव, प्रशांत सिंह, राजेश मीणा है। इनके द्वारा सतत अभ्यारण्य की निगरानी की जाती है।

डीएफओ पीएन मिश्रा ने चर्चा में बताया-
लॉक डाउन के दौरान भी वन्य जीवों वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, इसके लिए अमला सतत लगा हुआ है, वही वनो की सुरक्षा को लेकर लगातार गस्ती की जा रही है, इसी के साथ ही भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग से व एनजीओ के माध्यम से खिवनी के श्रमिकों के लिए खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई है, हारसपुर रेंज को सशक्त करने के लिए खेर प्रोटेक्शन गस्ती दल का निर्माण किया, जिसके अंतर्गत देवास जिले के मिलिट्री ओर होम गार्ड में कार्यरत सभी एक्समेन जवानों को हारसपुर के दौलतपुर वनचौकी पर तैनात किया गया है, जिन्हें मेरी तरफ से एक गाड़ी भी अलॉट कराई गई है। जिसके चलते खिवनी प्रोटेक्शन में काफी सहयता मिली है, वही हाल ही में कुछ अपराधियों को भी पकड़ा था जिनके विरुद्ध कार्रवाई की गई है, वन्य जीवों व वन्य प्राणियों को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता नही किया जा सकता।