अनिल उपाध्याय
 खातेगांव/
पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी के चलते लाक डाउन की स्थिति बनी हुई, वहीं दूसरी ओर श्रमिक एवं मजदूर लाक डाउन में फंसे हुए ऐसी विषम परिस्थितियों के बीच किसानों ने
सोशल डिस्टेशन का पालन करते हुए सडक निर्माण का जो बीड उठाया हे वह तारीफे काबिल
हे!

सरकार द्वारा हमेशा विकास के दावे किए जा रहे है। लेकिन जमीनी स्तर पर कितना विकास हुआ है ये बताना मुश्किल है। आज भी मप्र के कई गांव के किसान विकास की बाँट जोह रहे है। 

ऐसा ही मामला खातेगांव जनपद की ग्राम पंचायत ककड़दी के ग्राम नन्दाडाई का सामने आया है यहां के लोगो ने विकास का नाम सुना है लेकिन विकास क्या होता है इन्हें नही है पता? आदिवासी बाहुल्य गांव पूरी तरह खेती कार्य पर निर्भर है। लेकिन यहां खेत पर जाने का रास्ता नही होने से खेत मे आने-जाने में किसानों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

गांव के किसान दिनेश परमार ने बताया कि ग्राम नंदाडाई के किसानों ने ग्राम पंचायत से कई वर्षों से खेत मे जाने की सड़क को ठीक करवाने की मांग की है लेकिन वर्षों बीतने के बाद भी ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों ने इस और ध्यान नही दिया। यह खेत सड़क मार्ग पर करीब 20 किसानों की सेकड़ो एकड़ जमीन है। लेकिन बारिश के दिनों में कीचड़ में फंसते हुए जाना इन्हें कितना दुखदायी होता है ये बात केवल किसान ही जानते है। समस्या से कई बार पंचायतकर्मियों को अवगत कराने में बाद ध्यान नही दिया तो किसानों ने स्वयं मार्ग ठीक करने का ज़िम्मा उठाया और बैठक में सड़क को दुरुस्त करने का निर्णय लिया। परमार ने बताया कि गांव के सरकारी स्कूल से शेरसिंह परमार के खेत तक करीब डेढ़ किमी मार्ग की स्थिति बहुत ही खराब है। इसमें किसानों ने 1-1 हजार रुपये एकत्र कर ट्रेक्टर किराया देने के लिए इकट्ठे किये। सभी किसानों ने स्वयं मेहनत करके पत्थर की ट्रॉलियां भरी। इस मार्ग में जहां सबसे ज्यादा समस्या आती थी वही ट्रेक्टर से पत्थर डाल रहे है। हमारे द्वारा अब तक करीब 50 ट्रॉली पत्थर डाले गए है और आगे भी यह कार्य जारी है।


किसानों ने बयां की अपनी पीड़ा

किसानों ने बताया कि बारिश के दिनों में खेत मे आना-जाना मुश्किल होता है। खासकर तब जब खेत मे बुवाई के लिए बीज, खड़कया अन्य सामान की जरूरत होने पर पैदल चलकर सिर पर सामान लाद कर खेत तक जाना पड़ता है। बारिश का मौसम समाप्त होने के बाद भी जब तक सड़क का कीचड़ न सूखे तब तक किसानो को इस समस्या से जूझना पडता है। बारिश के दौरान सभी वाहन बंद रहते है।


कई बार दिए आवेदन, नही हुई सुनवाई

 किसानों ने बताया कि करीब 15 वर्षों से ग्राम पंचायत एवं प्रशासन से खेत सड़क की मांग करते आये है लेकिन किसी ने नही सुनी तो हम किसानों ने सड़क में जहां ज्यादा दिक्कत होती थी वही मुरम और पत्थर डाले है। ताकि बारिश में खेत मे जाने में कुछ हद तक कीचड़ से निजात मिल सके।