कोरोना इफेक्ट:
1470 किलो के सफर पर साइकल से निकल पड़े 11 मजदूर,
मुंबई से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए अपने घर के लिए हुए रवाना हुए मजदूर लाक डाउन में 1 महीने से फंसे थे,
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अनिल उपाध्याय
खातेगांव/
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मुंबई में मेहनत मजदूरी पर काम करने आए 11 मजदूर 1 महीने लाक डाउन के कारण मुंबई में ही फंसे हुए थे!
अजीत ने बताया कि कई वर्षों से हम लोग मुंबई में मेहनत मजदूरी करने आ रहे हैं इस बार हम कोरोना संक्रामक महामारी के चलते मुंबई में ही फंस गए थे हम लोग काम बंद होने के कारण बेरोजगार हो गए लॉक डाउन खुलने का इंतजार करते रहे पहले सोचा 14 अप्रैल के बाद लाक डॉउन खुल जाएगा फिर यहां से निकल जाएंगे लेकिन लाक डाउन और बढ़ा दिया गया और ना जाने आगे कब तक चले एक महिने को होने को आ गए अब रुका नहीं जा रहा है! सलीम ने बताया कि परिवार और बच्चे हमारी राह हमारे गांव गोरखपुर में देख रहे हैं कोई साधन नहीं मिल रहा था इसलिए साईकिल से ही निकलने का निर्णय लिया हम लोगों ने नई साइकिल खरीदी पास में जो पैसा थे उसी में लगा दिए जो कि अब पैसे भी घर पहुंचना है हम अभी तक 800 किलोमीटर साइकल से अपना सफर तय कर देवास जिले में प्रवेश कर चुके हैं अभी भी हमें 600 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करना है! खलील ने बताया कि रास्ते में हमें किसी ने भी नहीं रोका और ना ही हमारी कोई जांच हो सिर्फ हमारी हण्डिया चेक पोस्ट पर ही जांच हुई और हमारी जानकारी ली सभी की साइकल ऊपर थोड़ा सा राशन पानी की केन हवा के लिए पंप और कपड़े का एक बैग है!
1470 किलो के सफर पर साइकल से निकल पड़े 11 मजदूर,
मुंबई से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए अपने घर के लिए हुए रवाना हुए मजदूर लाक डाउन में 1 महीने से फंसे थे,
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अनिल उपाध्याय
खातेगांव/
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मुंबई में मेहनत मजदूरी पर काम करने आए 11 मजदूर 1 महीने लाक डाउन के कारण मुंबई में ही फंसे हुए थे!
अजीत ने बताया कि कई वर्षों से हम लोग मुंबई में मेहनत मजदूरी करने आ रहे हैं इस बार हम कोरोना संक्रामक महामारी के चलते मुंबई में ही फंस गए थे हम लोग काम बंद होने के कारण बेरोजगार हो गए लॉक डाउन खुलने का इंतजार करते रहे पहले सोचा 14 अप्रैल के बाद लाक डॉउन खुल जाएगा फिर यहां से निकल जाएंगे लेकिन लाक डाउन और बढ़ा दिया गया और ना जाने आगे कब तक चले एक महिने को होने को आ गए अब रुका नहीं जा रहा है! सलीम ने बताया कि परिवार और बच्चे हमारी राह हमारे गांव गोरखपुर में देख रहे हैं कोई साधन नहीं मिल रहा था इसलिए साईकिल से ही निकलने का निर्णय लिया हम लोगों ने नई साइकिल खरीदी पास में जो पैसा थे उसी में लगा दिए जो कि अब पैसे भी घर पहुंचना है हम अभी तक 800 किलोमीटर साइकल से अपना सफर तय कर देवास जिले में प्रवेश कर चुके हैं अभी भी हमें 600 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करना है! खलील ने बताया कि रास्ते में हमें किसी ने भी नहीं रोका और ना ही हमारी कोई जांच हो सिर्फ हमारी हण्डिया चेक पोस्ट पर ही जांच हुई और हमारी जानकारी ली सभी की साइकल ऊपर थोड़ा सा राशन पानी की केन हवा के लिए पंप और कपड़े का एक बैग है!
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