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अनिल उपाध्याय
  खातेगांव/

 कन्नोद तहसील के कांटाफोड़को अपने 10 घंटे के बच्चे को 40 डिग्री तापमान में सड़क किनारे
तीन घंटे बैठकर भुगतना पड़ा। दरअसल,महिला को देवास जिले के कांटाफोड़ की प्रसूता को हरदा अस्पताल से डिलिवरी
के 9 घंटे के बाद ही डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके बाद जो एम्बुलैंस से छोड़ने
भेजा गया, वह भी कांटाफोड़ की बजाय खातेगांव बस स्टैंड पर छोड़कर लौट गई।
महिला 10 घंटे के बेटे को गोदी में लिए 3 घंटे तक सड़क किनारे खातेगांव के बस स्टैंड पर 40 डिग्री तापमान में पर बैठी रही।
उसे कांटाफोड़ गांव जाना था। महिला ने हरदा जिला अस्पताल में शुक्रवार रात 2 बजे बालक को जन्म दिया, उसे 9 घंटे में
छुट्टी जाने की इजाजत कैसे मिल गई, यह सवाल है। दरअसल, कोरोना में प्रशासन
की व्यवस्था न होती देख शनिवार सुबह 11 बजे ही गीता के परिवार ने छुट्टी करा ली। रामहेत ने 108 पर कॉल कर पत्नी को
एम्बुलेंस से कांटाफोड़ छोड़ने का आग्रह किया। नियमों का हवाला देते हुए एम्बुलेंस (एमपी47डीबी0325) के ड्राइवर कमलेश ने खातेगांव में ही छोड़ दिया। खातेगांव
टीआई सज्जन सिंह मुकाती ने प्रसूता महिला और परिजनों को कांटाफोड़ तक छोड़ने के
लिए वाहन की व्यवस्था की। दोपहर 3.20
मिनट पर गाड़ी उन्हें लेकर कांटाफोड़ रवाना
हुई। 

मामले में सिविल सर्जन डॉ. शिरीष रघुवंशी ने कहा कि सामान्य प्रसूति में दो
दिन में छुट्टी दी जाती है। नौ घंटे में कैसे जाने दिया गया, यह दिखवाता हूं।

 108
के कॉर्डिनेटर द्वारकाप्रसाद ने कहा- बताते तो व्यवस्था करा देते। इतने छोटे बच्चे को
रास्ते में छोड़ना गलत है।