अनिल उपाध्याय खातेगांव
खातेगांव में सड़कों पर उड़ते धूल के गुब्बारो ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। रहवासी क्षेत्र होने के साथ ही इस मार्ग पर दुकानों के साथ-साथ स्कूल भी संचालित हो रहे हैं। धूल की चपेट में आने के कारण लोगों को एलर्जी दमा जैसी घातक बीमारी होने की आशंका बढ़ गई है। रहवासी क्षेत्र से होकर गुजरने वाले इस हाईवे मार्ग कि और किसी का भी ध्यान नहीं होने से लोगों में आक्रोश भी देखा जा रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मार्ग नगरी क्षेत्र की सीमा से लगा हुआ है। बागदी नदी से दाना बाबा तक धूल के गुब्बार ओं ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है दीपावली के त्योहार के मद्देनजर रहवासी क्षेत्र के लोग अपने मकानों में रंगाई पुताई कर रहे हैं लेकिन धूल के गुब्बारे उनकी मेहनत पर पानी फेर रहे होटलों में रखी हुई खाद्य सामग्री धूल के गुब्बार ओं के कारण दूषित हो रही है लेकिन जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं।
खातेगांव से गुजरने वाले इंदौर बैतूल नेशनल हाईवे 59 ए मार्ग कंडम हो चुका है, जिससे इस मार्ग पर धूल के गुब्बार उडऩे लगे हैं। इस धूल के गुब्बार से इस मार्ग पर पैदल चलने व साइकिल, दोपहिया वाहन से आवाजाही करने वाले लोगों के साथ साथ इस मार्ग पर बसे रहवासियों का जीना मुहाल हो चुका है।
भारी भरकम लोड ट्रकों डंपर की आवाजाही से यह सडक़ खस्ताहाल हैं। धूल के गुब्बारे उडऩे के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। यह सिलसिला कई महीनों से चल रहा है, इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से अब तक कोई पहल नहीं किया जाना, आमजन के लिए घातक बन चुका है।
इस मार्ग से जैसे ही चार पहिया वाहन निकलते हे, पीछे से धूल के गुब्बार उठते है । इस धूल से सर्वाधिक परेशानी सडक़ के समीप बसे लोगों को हो रही है, सामान, कपड़े व खाना आदि धूल की भेंट चढ़ जाता है। घर में मरीज, छोटे बच्चों व बूढ़ों को खांसी की परेशानी होना आम हो गया है।यदि शीघ्र इस सडक़ की मरम्मत नहीं किया गया तो सडक़ किनारे बसे अधिकांश लोग श्वास की बीमारी की चपेट में आ जाएंगे। कई लोग अपने परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित नजर आ रहें हैं।
इसी तरह इस मार्ग से स्कूल आने जाने वाले बच्चों का यूनिफार्म धूल के गुब्बार से पूरी तरह से गंदा हो जाता है। जिससे स्कूली छात्र-छात्राओं को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति तो यहां तक खराब हो चुकी है कि इन स्कूलों तक धूल के गुब्बारे पहुंच रहे हैं जो मुसीबत का कारण बनते जा रहे हैं। धूल के गुब्बारों से राहत मिले इसके लिए सीमेंट कंक्रीट या डामरीकरण करना जरूरी है। लेकिन एन एच59 के जिम्मेदार अधिकारी और इंजीनियर द्वारा लोगों के स्वास्थ्य से खुला खिलवाड़ किया जा रहा है कुछ जागरूक नागरिकों ने इससे राहत के लिए न्यायालय के दरवाजे भी खटखटाने का मन बना लिया।
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