आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का खातेगांव नगर में हुआ भव्य मंगल प्रवेश
जैन समाज के हर घर के बाहर बनी रंगोली, मुनिसंघ की उतारी आरती
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अनिल उपाध्याय
देवास
9753414558
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दिगंबर जैनाचार्य संत शिरोमणि श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का खातेगांव में 5 साल 10 महीने के लंबे अंतराल के बाद
मंगलवार को मंगल आगमन हुआ। प्रातःकालीन बेला में कन्नौद रोड़ स्थित पार्श्वनाथ जिनालय पर नगरवासियों ने आचार्यश्री और मुनिसंघ की मंगल आगवानी की।
जैन समाज के प्रवक्ता नंदू चौधरी व संदीप जैन ने बताया कि सर्वप्रथम आचार्यश्री ने पार्श्वनाथ जिनालय में श्रीजी के दर्शन किए और अभिषेक देखे। उसके बाद समाजजन गाजे-बाजे के साथ मुनिसंघ को नगर में लेकर आए। संपूर्ण यात्रा मार्ग में आचार्य श्री ससंघ की श्रद्धालुओं ने जगह-जगह आरती उतार कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
आचार्यश्री के नगर आगमन को लेकर श्रद्धालुओं में खासी उत्सुकता दिखाई दी। नगर में विशेष साज-सज्जा और सजावट की गयी। प्रत्येक घर रंगोली बनाई गई। आगवानी जुलूस में हर श्रद्धालु अहिंसा और गुरुदेव के जयघोष लगाता अपने हाथ में धर्म ध्वजा लेकर चल रहा था।
कन्नौद रोड़, तीन बत्ती चौराहा, गणेश चौक, महावीर मार्ग होता हुआ मुनिसंघ विद्यासागर स्कूल पहुंचा। जहां श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री की भक्तिभाव से संगीतमय पूजन की।
खातेगांव दिगंबर जैन समाज द्वारा आचार्य श्रीजी के समक्ष अपनी भावनाएं समर्पित करते हुए शीतकालीन वाचना खातेगांव में ही करने का आग्रह किया।
आचार्यश्री ने अपने संक्षिप्त प्रवचन में कहा कि खातेगांव वासियों का पुण्य प्रबल है जिस कारण यहां संतों का लागातार सानिध्य मिलता रहता है। खातेगांव वासियों के पुण्य की चर्चा तो भारत के सम्पूर्ण जैन समाज के बीच है। इसीलिए तो कई लोग हमसे कहते हैं कि आचार्यश्री आपका तो खातेगांव वालों से विशेष स्नेह और अनुबंध है।
ततपश्चात आचार्यश्री मुनिसुव्रतनाथ जिनालय पहुंचे और विधि लेकर आहारचर्या के लिए निकले। आचार्यश्री और 7 मुनिराजों की आहारचर्या हेतु समाज के 65 से ज्यादा परिवारों ने चौके लगाए। आगवानी दिवस पर आचार्यश्री की आहारचर्या का सौभाग्य बालब्रम्हचारिणी नीरज दीदी, नरेंद्र मेडिकल परिवार को प्राप्त हुआ। सायंकाल में मुनिसंघ ने सामूहिक रूप से गुरुभक्ति की।
ज्ञातव्य है कि चाहे आचार्यश्री का आगमन एक लंबे अंतराल के बाद खातेगांव हो रहा है, लेकिन आशीर्वाद स्वरूप उनके शिष्यों का लगातार सानिध्य खातेगांव को मिलता रहा है।
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