बुरे दौर में जीवन सूत्र


एक विशेष लेख योगेश पंडित की कलम से


हर ख़बर हर आदमी के लिए जरूरी नही होती ।


आष्टा ब्यूरो चीफ संजय जोशी

जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा है आपने एक समय था जब मोबाईल और टेलीविजन का चलन बहोत कम या न के बराबर था तब हर आदमी अपनी दुनिया में खुश था और हृदयघात(हार्ट अटैक) से होने वाली मृत्युदर अथवा डिप्रैशन में जाने वाली समस्याएं बहुत कम देखने को मिलती थी लेकिन आज हर दो व्यक्ति को छोड़कर तीसरा व्यक्ति डिप्रैशन,टेंशन जैसी समस्याओं से ग्रस्त है तो वहीं हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है इन समस्याओं को जन्म देने में जितना जिम्मेदार आज का भोजन है उतना ही जिम्मेदार आज की खबरें हैं, एक समय था कि जब घर में किसी की मौत होती थी तो बहार अन्य स्थान पर रहने वाले व्यक्ति को मौत की जानकारी दिए बिना ही बुलाया जाता था न कि उसे बताकर लेकिन आज के दौर में ऐसी बातों को तुरंत अपडेट कर दिया जाता है जो परेशानी का कारण बनती है, छोटे बच्चे गेम्स में खो जाते है बड़े लोग खबरों में तो कोई फिल्मों का दीवाना उनमें डूब चुका है विदेशों में दिल दहला देने वाली घटनाएं सुन-सुनकर आदमी अपने घर में बैठे बैठे अपने स्वास्थ्य का नुकसान कर लेता है उन खबरों को सुन जिनसे उसका कोई लेना-देना तक नही है ऐसी खबरें उसके दिमाग और शरीर दोनों को कमजोर करती जा रही है आज के दौर में हर आदमी किसी न किसी वजह से अंदर ही अंदर घबराया हुआ दिख जाता है जिसमे मुख्य वजह सिर्फ और सिर्फ वो खबर है जिनसे बेखबर हो जाना ही उसकी सेहत का राज है ।

इन सब चीजों से बचने के लिए जरूरी है फालतू की भयावह खबरे परोसने वाले चैनल,व्हाट्सअप ग्रुप्स से दूरी बनाना, अखबारों में अभिव्यक्ति-सम्पादकीय पढ़ना टीवी पर न्यूज़ में क्या देखना है क्या नहीं इसका विशेष ध्यान रखना, बुरी तरह बेवजह चिल्लाने वाले चेनलों से परहेज करना साथ ही ऐसे दोस्तों के साथ रहना जो ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक बातें करने वाले हो,बच्चों को मोबाइल गेमिंग की लत पड़ने से बचाना और इन सबमें सबसे ज्यादा जरूरी है हर एक काम के लिए अपनी दिनचर्या निर्धारित करना और ज्यादा से ज्यादा अच्छी किताबें पढ़ना यदि हम इन सब बातों का पालन करने लगे तो आज जो मनुष्य जाति हमें संकट में नज़र आ रही है हम उसे इस तरह बर्बाद होने से बचा सकते है निर्णय और उपाय दोनों हमारे हाथों में है तय हमें करना है हमें डिप्रेशन में पड़ा हुआ अपडेट व्यक्ति होना है या हर प्रकार से बेखबर अपनी अल्हड़ जिंदगी जीता हुआ मनुष्य बनना है ।

शुभम भवतु


पण्डित योगेश "शास्त्री"

उज्जैन,मध्यप्रदेश