संजय नामदेव
खिरकिया । छीपाबड़ थाने में पदस्थ एसआई अभिनाश पारधी ने कोरोना महामारी संकट के दौरान एक कविता लिखी कोरोना के संकट काल में हम जो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और जिस तरह से हम जीवन के सुकून से दूर थे हमारी जिंदगी लॉक डाउन से पहले जैसे भाग रही थी अभी जैसे थमी हैं और जो अपना सुकून हम वापस महसूस कर पा रहे हैं अपने परिवार से जो मिल पा रहे हैं उस परिपेक्ष में यह लिखी गई कविता इस प्रकार है कल मैंने जीवन देखा
कल मैंने जीवन देखा,जिंदगी का विचरण देखा ।
व्यर्थ माया, मोह कल्प, काया, ढलता इसका दिनकर देखा । कल मैंने जीवन देखा दर्प बड़ा है इसका मतवाला डर जाता है अच्छा हिम्मतवाला । कर्म कराएं निशदिन निराला,धूमिल कुमति ने कर डाला ।
इसने ही मानस बनाया, जीवन जन का परिचय बताया दुख के कांटों से खूब सजाया,उसमें खुशियों के फूल खिलाया । प्रभाव,विपत्ति,प्रेम,विलाप,माया,मौसम यह भी मजे से इसने बरसाया,अब जीवन का कलयुग बुलवाया,फिसलाकर समतल पर औकात में लाया इसको गर्दिश में ठिठुरता देखा, कल मैंने जीवन देखा शांत,श्रृंगार,स्नेह सब भूलकर जो सुकून सुलभ में खो रहा था। जब तक ना इस ने टक्कर मारी,मैं मदहोश सुकून को बेच रहा था। चाहे किसी बहाने से ही सही पर,आज मैं जीवन पर लौट रहा था। कल मैंने जीवन देखा।
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