महाविद्यालय के छात्र छात्राओं की फीस माफ करने के लिए मध्य प्रदेश सीएम को लिखा पत्र
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अनिल उपाध्याय
देवास/म,प्र
पूर्व एनएसयूआई जिलाध्यक्ष देवास जितेन्द सिंह गौड़ एवं गोपाल यादव ने माननीय शिवराज सिंह जी चौहान
मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन, भोपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि महाविद्यालय छात्र छात्राओं की फीस माफ की जाए उन्होंने अपने लिखे पत्र में बताया है कि विश्वविद्यालय परीक्षा तिथि आगे बढ़ाएं और निर्धन विद्यार्थियों की परीक्षा शुल्क माफ करना विद्यार्थियों के हितों में रहेगा आपने बताया कि
प्रदेश में कोरोना वायरस का कहर जारी है। सभी लोग इस महामारी के प्रकोप और प्रभाव से जूझ रहे हैं। ऐसे में विश्वविद्यालयों की परीक्षा लॉक डाउन खत्म होने के ठीक बाद करवाना ख़तरनाक साबित हो सकता है। इससे पुनः संक्रमण बढ़ने और फैलने की पूरी संभावना है। विश्वविद्यालय परीक्षा केंद्रों पर जिले और जिले के बाहरी क्षेत्रों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में शामिल होंगे। साथ ही सैकड़ों प्राध्यापकों को भी इस कार्य मे संलग्न होना पड़ता है। जिससे सभी के सामने स्वास्थ्य का संकट खड़ा हो जाएगा। जिस पर नियंत्रण कर पाना शासन प्रशासन के लिए कई नई मुश्किलें पैदा कर सकता है। विश्वविद्यालय के परीक्षा केंद्रों के पास सामान्य परिस्थितियों में ही परीक्षार्थियों को बैठाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पाती है तो सोशल डिस्टनसिंग का पालन कर पाना असंभव है। जिससे संक्रमण का ख़तरा और अधिक बढ़ जाएगा। सामान्य सामान्य समय मे एक बेंच पर 2 और कभी 3 लोगों बैठा कर परीक्षा करवाई जाती है तो अभी तो ये और मुश्किल और खतरनाक सिद्ध हो सकता है। कोरोना महामारी के संकट और संक्रमण को दरकिनार कर विश्वविद्यालयों द्वारा परीक्षा करवाना देश प्रदेश और समाज के लिए घातक है।कॉलेजों में अधिकांश विद्यार्थी दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से है जो परीक्षा और भारी परीक्षा फीस भरने के तनाव में हैं । किसान , मजदूर और निर्धन वर्ग के विद्यार्थियों को परीक्षा फीस जुटा पाना चुनोती बन गया है । लॉक डाउन के कारण महीनों से काम मजदूरी भी नहीं मिल रही है। गरीबी की मार झेलकर उज्जवल भविष्य के सपने देखने वाले विद्यार्थियों पर भी वज्रपात हुआ है। वे मुश्किल में हैं कि यदि परीक्षा शुरू होती है तो कैसे शहरी परीक्षा केंद्र पहुँचेंगे कँहा रहेंगे । ऐसी कई परेशानियां उनके सामने मुँह बांहे खड़ी है ।जबकि परीक्षाओं एवं नए सत्र के लिए यु जी सी द्वारा इस संबंध में निर्णय लिया जाना है जो देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए मान्यकारी है। आपसे करबद्ध अनुरोध है कि महामारी के समय सेमेस्टर परीक्षा के गरीब, किसान, मजदूर और निर्धन परिवारों के सभी विद्यार्थियों की परीक्षा फीस माफ की जाए। इस आपदा के समय जंहा छात्र संक्रमण के भय से जूझ रहे हैं वंही विश्वविद्यालय की भारी भरकम फीस जुटाने का तनाव भी बढ़ रहा है। विश्वविद्यालयों को आदेशित करे कि परीक्षा शुल्क नहीं वसूलें। साथ ही सरकार भी शीघ्र ही सेमेस्टर परीक्षा फीस माफ करने के आदेश जारी कर छात्रों को राहत प्रदान करे। जिससे कि मानसिक त्रासदी झेल रहे विद्यार्थी मन लगा कर पढ़ाई कर सके। साथ ही मांग की है कि परीक्षा के समय छात्रों और प्राध्यापकों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम परीक्षा केंद्रों पर किए जाए। परीक्षा केंद्रों पर शारिरिक तापमान थर्मल स्क्रीनिंग, सैनिटाइजर और मेडिकल टीम व्यवस्था की जाए। अन्यथा परीक्षा केंद्र कोरोना केंद्र बन सकते हैं । परीक्षा कोरोना संकट टालने और अनुकूल माहौल होने पर ही ली जाए। संकट, संक्रमण और तनाव की इस घड़ी में विश्वविद्यालय परीक्षा करवाना उचित नहीं होगा। विद्यार्थियों का परीक्षा के लिए मानसिक रूप से तैयार होना भी आवश्यक है। परीक्षा को राजभवन अपनी व्यक्तिगत उपलब्धि से जोड़कर निर्णय ना लेवें। यह लाखों नौजवानों के जीवन और स्वास्थ्य का भी प्रश्न है। इस संकट की घड़ी में सरकार राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले युवाओं को भी परीक्षा फीस माफ कर राहत प्रदान करें । विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय और सरकार अपनी आय का साधन नहीं समझें। आशा है आप शीघ्र आप देश हित और छात्र हित में निर्णय लेकर स्वस्थ्य, समृद्ध प्रदेश के भाव को सुदृढ़ कर छात्र ,शिक्षा जगत को अनुग्रहित करेंगे।
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