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रिपोर्ट:-निखिल उपाध्याय
11वीं शताब्दी की प्राचीन प्रतिमा
हिंदू धर्म में नागों की पूजा का महत्व सदियों पुराना है। कई लोग नागों को भगवान का आभूषण मानने हैं, देश में नागों के कई मशहूर मंदिर भी हैं। उन्हीं में से एक है उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे वर्ष में केवल एक दिन, नागपंचमी के अवसर पर दर्शन के लिए खोला जाता है। माना जाता है कि नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में विराजमान हैं। इसी कारण, मंदिर को केवल नागपंचमी के दिन ही खोला जाता है और नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक प्राचीन प्रतिमा है, जिसे नेपाल से लाया गया था। इस प्रतिमा में भगवान शिव अपने परिवार के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजमान हैं, जो इस मंदिर को और भी विशेष बनाती है।
भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट रात 12 बजे खोले गए। परंपरा अनुसार सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरी महाराज ने मंदिर के द्वार खोले, जिसके बाद श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा ने सबसे पहले यहां पर पूजन अर्चन किया। जिसके बाद श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर की दुर्लभ प्रतिमा के पास पहुंचे, जहां भी आपके द्वारा भगवान का विशेष पूजन अर्चन कर त्रिकाल पूजा की शुरुआत की गई। इस पूजन अर्चन और आरती के बाद आपने शिखर के नीचे विराजमान भगवान के शिवलिंग का भी पूजन अर्चन कर आरती कर भोग लगाया गया। जिसके बाद आम श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश शुरू हुआ। भगवान के दर्शन का यह सिलसिला शुक्रवार रात 12 बजे तक चलता रहेगा। भगवान नागचंद्रेश्वर को दोपहर में दाल बाटी का भोग लगाया गया
विश्व की एक मात्र प्रतिमा
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजन व्यवस्था परंपरा अनुसार, महानिर्वाणी अखाड़े के अधीन है। अखाड़े के गादीपति महंत विनीत गिरि महाराज बताते हैं मंदिर के अग्रभाग में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति अत्यंत दुर्लभ है। यह एक मात्र श्री विग्रह है, जिसमें सर्पासन पर भगवान शिव पार्वती, गणेश, कार्तिकेय सहित पूरा शिव परिवार विराजित है। भगवान शिव का वाहन नंदी और माता पार्वती का वाहन सिंह भी दृष्टिगोचर होते हैं। ऊपर सूर्य व चंद्रमा भी अंकित हैं। भगवान शिव के गले में भुजंग लिपटे हुए हैं। इस प्रकार की मूर्ति विश्व में दूसरी देखने को नहीं मिलती है।
दुर्लभ है यह प्रतिमा
भगवान नागचंद्रेश्वर की अत्यंत दुर्लभ प्रतिमा वर्षों से विराजमान है। इस प्रतिमा के बारे में बताया जाता है कि यह प्रतिमा एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जिसमें भगवान शिव, माता पार्वती के साथ भगवान शेषनाग की शय्या पर विश्राम कर रहे हैं। इस प्रतिमा में भगवान श्री गणेश भी विराजमान है। मंदिर में इस प्रतिमा के साथ ही शिवलिंग के रूप में भी एक प्रतिमा विराजमान है जिनका भी इस दिन पूजन-अर्चन कर दर्शन किया जाता है। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनित गिरि महाराज ने बताया कि गुरुवार रात 12 बजे मंदिर के पट पूजन-अर्चन के बाद खोले गये, इसके बाद दर्शनार्थी भगवान के दर्शनों का लाभ ले रहे है और यह शुक्रवार रात्रि 12 बजे तक खुले रहेंगे। महंत विनीत गिरि महाराज ने बताया कि मंदिर में त्रिकाल पूजा का भी बड़ा महत्व है। रात्रि को मंदिर के पट खोलने के बाद भगवान की विशेष पूजा-अर्चना की गई। दोपहर को शासकीय पूजन भी की गई। इसे श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों के द्वारा करवाया गया।
संन्यासी करते हैं मंदिर में पूजा
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिवार्णी अखाड़ा के संन्यासियों द्वारा की जाती है। अखाड़े के महंत विनीत गिरि महाराज के अनुसार इस मंदिर की पूजा विधिवत रूप से की जाती है। यहां भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। कहा जाता है कि दुनिया में इस तरह की प्रतिमा और कहीं नहीं हैं। महाकाल मंदिर के शिखर में विराजित दुर्लभ प्रतिमा के साथ इसी तल पर पिंडी स्वरूप शिवलिंग भी है, जिसे सिद्धेश्वर कहा जाता है। मंदिर में नागपंचमी के दिन दोनों ही स्वरूप में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।
अधिकारियों ने देखी नागपंचमी पर्व की दर्शन व्यवस्था
अधिकारियों ने प्रशासनिक अमले के साथ नागपंचमी पर्व की दर्शन व्यवस्था का जायजा लिया। अधिकारियों द्वारा नागपंचमी पर्व पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों के लिए निर्धारित किए गए पार्किंग स्थल (कर्कराज मंदिर के पास) का अवलोकन किया गया। नागपंचमी पर्व पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए अलग लाइन लगी और भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के लिए अलग लाइन लगाई गई। भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए प्रवेश मार्ग का अवलोकन अधिकारियों द्वारा किया गया। अधिकारियों द्वारा सामान्य दर्शन और वीआईपी दर्शन के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया।
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