5 दिवसीय सम्मान समारोह में पहले दिन हुआ 90 कोरोना योद्धाओं का सम्मान



मुनिश्री के वचनों से प्रेरित होकर किया मांस-मदिरा का त्याग 

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      समाचार लाइव न्यूज 

           अनिल उपाध्याय

             खातेगांव

 जैन समाज खातेगांव द्वारा मुनिश्री विनम्रसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में आयोजित 5 दिवसीय सम्मान समारोह के पहले दिन दो सत्रों में करीब 90 कोरोना योद्धाओं को जीव दया सम्मान से सम्मानित किया गया। रविवार को समारोह के पहले सत्र में विधायक आशीष शर्मा, पूर्व नप अध्यक्ष नीलेश जोशी, सीएमओ आनंदीलाल वर्मा तथा दूसरे सत्र में खंडवा डिप्टी कलेक्टर अनुभा जैन, खातेगांव एसडीएम संतोष तिवारी, टीआई सज्जनसिंह मुकाती बतौर विशेष अतिथि उपस्थित थे। शुरुआत विभा काला, दर्श लुहाड़िया के मंगलाचरण से हुई। आमंत्रित अतिथियों, जैन समाज कमेटी, चातुर्मास कमेटी ने आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीपप्रज्वलन किया। कार्यक्रम के पुण्यार्जक प्रियेश अशोक लुहाड़िया एवं समिति सदस्यों ने अतिथियों का स्वागत किया। विधायक आशीष शर्मा ने कहा कि भौतिक गंदगी को साफ़ करने का काम सफाईकर्मी करते हैं, वहीं आध्यात्मिक सफाई का काम संत करते हैं। संतों के सानिध्य में जैन समाज द्वारा सफाईकर्मियों और कोरोनायोद्धाओं का सम्मान अनुकरणीय है। मुनिश्री निर्मदसागरजी ने आशीर्वचन दिए। सभी अतिथियों और जैन समाज के वरिष्ठों ने कोरोना योद्धाओं को मोतियों की माला और दुपट्टा पहनाकर तथा शाल-श्रीफल, प्रशस्ति पत्र और एक बेग देकर जीव दया सम्मान से सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र चौधरी ने किया, आभार पुनीत जैन, संदीप पाटनी ने माना। सफाई दरोगा राजेश लोदवाल, रिंकू चिंतामन ने कहा कि इस तरह उनका सम्मान कभी नहीं हुआ, इस सम्मान के लिए वे जैन समाज के आभारी हैं। 


इस अवसर पर मुनिश्री विनम्रसागरजी ने कहा कि सम्मान किसी व्यक्ति का नहीं उसके व्यक्तित्व का होता है। जब कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर से लेकर अब तक सफाईकर्मियों ने जो काम किया वह वंदनीय है। संक्रमण के डर से जब लोग घरों में थे, तब भी इन्होने अपने जान की परवाह किए बिना अपना कार्य पूरी ईमानदारी से किया। गंदगी में जहां संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है, यह जानते हुए भी निर्बाध रूप से अपनी सेवाएं जनहित को देखते हुए जारी रखी। पिछले तबके का एक सामान्य आदमी भी अगर ठान ले तो अपने कार्यों और व्यक्तित्व से शिखर पर पहुंच सकता है। हम महर्षि वाल्मीकि को तो मान रहे हैं लेकिन उनके आदर्शों को भूलते जा रहे हैं। उपस्थित सफाईकर्मियों से मुनिश्री ने कहा क्यों ना आज से ही इसकी शुरुआत करें और हफ्ते में एक दिन मांस-मदिरा का त्याग करें। मुनिश्री के वचनों से प्रेरित होकर कार्यक्रम में उपस्थित सभी सफाईकर्मियों ने अपने दोनों हाथ उठाकर एक स्वर में गुरुवार को मांस-मदिरा का सेवन ना करने की शपथ ली।